ये पाक महीना अब विदा लेने वाला है कुछ बात तो है इस माह की हर घडी हर दिन हर मुसलमान गिनता है खुश रहता है इबादत करता है खैरात करता है हमारे साहबजादे भी कल रात को बात हुई तो अकेले घर पर अफ्तार बना रहे थे देखकर ख़ुशी हुई वैसे रोजे तो किसी न किसी रूप मैं हमेशा से हर कौम रखती रही है मगर जो अंदाज़ और जज्बा इस माह मैं है उसकी कोई मिसाल नहीं
ये क्या बात है ? ये समझना इंसानी अक्ल के लिए मुमकिन नहीं.
अब रेडियो का दौर ख़तम हो गया और रफ़ी का गाया हुआ मशहूर गाना जिसको सुनकर हम सब बडे हुए हैं रमजान शरीफ के जाते जाते सुनना अच्छा लगा.
http://youtu.be/ASV1oebT5bI
http://www.youtube.com/watch?v=ASV1oebT5bI
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