अगले महीने से चुनाव हो रहे हैं ऐसे में पुराने चुनाव बहुत याद आते हैं तब हम लोग जो गलिओं में रहते हैं वोह भी शोर की वजह से रात रात भर जागते रहते थे. फ़िल्मी गानों पर खूब चुनाव गीत लिखे जाते थे और हम सुनते सुनते थक जाते थे. गाँव की बाज़ारों में आमने सामने बडे बडे भोपू लगा कर बोलने वाले अपने चिन्ह की बड़ाई करते थे की झोपडी धुप -पानी से बचाती है कोई कहता की बैलों की जोड़ी खेत जोतती है , कोई हाथी की शाहाना चाल की तारीफ़ करता तो कोई तीर-कमान को बहादुरी से जोड़ता था मगर तब धर्म और जात का दखल न था अभी एक दिन टीवी पर एक ADVERTISEMENT जब एक साईकिल को हाथी से आगे भागते देखा तो पुराने दिन याद आ गए अभी भी जब ये बचपना दीखता है तो अच्छा लगता है.
तब हर बच्चा खूब रद्दी और रंग बिरंगे बंनर , पर्चे जमा करता था उनका खूब खेल था वोह सब ख़तम हो गया फिर खर्चा कहाँ हो रहा है ? फिर चुनाव क्यों महंगा है ?
तब हर बच्चा खूब रद्दी और रंग बिरंगे बंनर , पर्चे जमा करता था उनका खूब खेल था वोह सब ख़तम हो गया फिर खर्चा कहाँ हो रहा है ? फिर चुनाव क्यों महंगा है ?