ये देखिए किसी पर कोई इल्ज़ाम न आया
उस ने चुप रह कर सितम और भी ढाए मुझपर
उस से बेहतर हैं मेरे हाल पर हँसने वाले
दोस्त बनकर मिले मुझ को मिटाने वाले
मैं ने देखें हैं कई रंग ज़माने वाले
अब तो अपने आप को भी अजनबी लगती हूँ मैं
कौन मुझ से छीन कर मेरी निशानी ले गया