थोड़े दिनों की और है मेहमान ज़िन्दगी
कही किसी से न रूदादे ज़िन्दगी मैं ने
गुज़ार देने की शै थी गुज़ार दी मैं ने
बजाहिर जो बहुत अच्छे भले मालूम होते हैं
वो अन्दर से बहुत टूटे हुऐ मालूम होते हैं
बेवफ़ाई की तोहमत सर हमारे है लेकिन
बात जब बिगड़ती है बात हम बनाते हैं
दिल में क्या क्या सोच रखा था पर वैसा नहीं हुआ
दुनिया भी मेरे हाथ न आई कोई भी मेरा नहीं हुआ
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