आज बहुत दिनों के बाद कुछ फुर्सत या इसको रहत कहैं मिली तो आप बीती लिखने बैठ गया अब इस उम्र मैं जब घुटने धोका दे रहे हों , आँखों मैं एक मूजी मर्ज़ के साए आगे बढ़ रहे हों तो असल में फुर्सत नहीं रहत के लम्हे नहीं मुअस्सर होते हाँ कभी कभी राहत सी महसूस होती है ऐसे में तो नेट पर बैठने का दिल करता है या फिर टीवी देखने का.
ऑस्ट्रेलिया में मैच शुरू हो चूका है फिर वही महा-शतक का राग , अन्ना की भैरवी पर हमारा मीडिया मुग्ध है और आने वाले इलेक्शन का घमासान है और जो असली मुद्दे हैं वोह बहुत दूर जा चुके हैं उनकी तरफ से ध्यान हटाने में सब लोग कामयाब हैं और ग़रीब आदमी , एक आम आदमी इन सब बातों से दूर इस कड़ाके की सर्दी , रोज़ी -रोटी की जंग में लगा हुआ है.
ऐसे में हम पर मालिक का करम है की फुर्सत और रहत मिल गई मगर ये महंगाई तो हमको भी मार रही है हमारी बचत तो रोज़ घट रही है मगर हम तो बे-बस हैं.
ऑस्ट्रेलिया में मैच शुरू हो चूका है फिर वही महा-शतक का राग , अन्ना की भैरवी पर हमारा मीडिया मुग्ध है और आने वाले इलेक्शन का घमासान है और जो असली मुद्दे हैं वोह बहुत दूर जा चुके हैं उनकी तरफ से ध्यान हटाने में सब लोग कामयाब हैं और ग़रीब आदमी , एक आम आदमी इन सब बातों से दूर इस कड़ाके की सर्दी , रोज़ी -रोटी की जंग में लगा हुआ है.
ऐसे में हम पर मालिक का करम है की फुर्सत और रहत मिल गई मगर ये महंगाई तो हमको भी मार रही है हमारी बचत तो रोज़ घट रही है मगर हम तो बे-बस हैं.