उम्र के ६५ पड़ाव तक आने पर ये अहसास हुआ की मैं तो ३ पुश्तों का अब साछी या गवाह हूँ आज तक पढता रहा हूँ लोगों की सुनता रहा हूँ लेकिन अब और नहीं अब तो अपनी सुनानी है यह विचार आते ही पलटा तो अपना साया भी गायब था { ये ग्लौकोमा का चमत्कार है जो बहुत शान्ति से बगैर आपको कोई चेतावनी दिए आपका विज़न चुरा लेता है ये विषय फिर कभी} अब इस नितांत अन्धकार में नेट पर ब्लोग्गेर्स को ये सुविधा प्राप्त है जहां आप अपनी कह सकते है.आज अधिक न कहकर में बस शुरवात करता हूँ कम अज कम मेरी तरह कोई अकेला प्राणी भटकता हुआ आ गया तो उसको ये संतोष अवश्य हो गा. की वोह यहाँ अकेला नहीं है. मेरे आस पास बहुत से प्राणी जिनका FINAL RETIREMENT अभी बाक़ी है उन सब की दशा ये ही है. ज़रा सा हाले-दिल एक मोनिसे-गमख्वार से कह कर बना डाला ज़माने भर को अपना राजदां हम ने. रशीद असर शाहजहांपुरी
A shared blog hosted by Mohd. Saleem Khan, Mazhar Masood and Shakil Akhtar to pour out their experiences of life span of about 65 years each and share memories of past good or bad with each other as well as with all viewers of this blog.
Tuesday, 26 April 2011
AAP BEETI
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