लीजिये मई का महीना अपने शबाब पर है पारा ४० को पार कर चूका है और हम हर साल की तरह गर्मी का रोना रो रहे हैं साहेब हम भी बहुत न-माकूल चीज़ हैं हर मौसम मैं रोते ही रहते हैं हर बार जब Petrol , Gas Diesel के दाम बढते हैं तो हमारी कमर टूट जाती है लेकिन ६ महीने बाद फिर दाम बढते हैं तो फिर ये कम्बखत टूट जाती ये कमर क्या चीज़ है ये तो कोई कवि ही समझ सकता है जो बराबर टूटती है और होता कुछ नहीं
ये ज़रूर है जब हम अपने ज़माने की फ़िल्मी Heroines की कमर याद करते हैं तो फख्र से सर ऊंचा हो जाता है क्या सेहत होती थी आजकल तो Heroines की माताश्री की कमर भी उनकी कमर से कम होती है ये सब कितनी बीमार सी लगती हैं ..... और अब तो ZERO का Funda आ गया है खुदा जाने ये क्या होता है मैं तो ये समझता हूँ Bones+Skin और बाक़ी सब Zero ही होता है.
बात तो साहेब गरमी की है इसका अलग ही मज़ा है खूब पानी से खेलो जितना चाहो शरबत पियो खरबूजे और तरबूज आ चुके हैं और आम भी बस आने वाले हैं ये नैमतें फिर कहाँ रात को ज़रा खुले आँगन मैं आप लेट कर देखें सुबह के वक़्त जो हवा चलती है वोह फिर कहाँ बच्चों को पोखरों मैं अठ्खेलियन करते देखिये और इस मौसम मैं उनको क्रिकेट खेलते देखिये और हिम्मत की दाद दीजिये आजकल ही बुलबुल अपने बच्चों को उड़ना सिखाती हैं वोह देखिये खुदा की कुदरत हर तरफ बिखरी पड़ी है इस सुहाने मौसम का मज़ा लीजिये बस खाली पेट न हों पानी और पानी बस इसका सेवन करैं. आप महसूस करेंगे की इस मौसम का कोई बदल ही नहीं है...........
नहीं आपको हमारी बात ठीक नहीं लगी...................
is garmi ko bhoge hue zamana guzar gaya. woh raaton ko chhat par ya aangan mein sona, machchar daani, subha ki mashoor kun khunki aur baade naseem, shaam ki purwayee, loo, aam, kharbooze wah wah. mubarak ho aap ko yeh sab muyassar hai.Yahan aaj kal 3-10 degree temp aur heater kambal jackets wagaira. aur saath mein baarish.tarbooz kharbooze saal bhar milte hain.leki woh maza kahan.
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