Dhaanpa Kafan Nay Daag-e-ayeubay Brahangi,
Main varna har Libaas main Nangay-wajood tha. GHALIB
Main varna har Libaas main Nangay-wajood tha. GHALIB
न जाने क्यों ये शेर पढ़कर और एक ख़त पढ़कर ४५ साल पहले का वाक़िया याद आ गया . पहले तो ये बता दूं की अब Pension पाने के बाद तो सब को ये हकीकत मालूम हो जाती है की सब लोग सिर्फ Pensioner हैं और अब उनका कोई दूसरा Status नहीं . हम लोग मतलब सलीम साहेब , मरहूम सईद अफज़ल और बहुत से दोस्त तब नौजवान थे और एक एक बेंच के इंचार्ज थे हम सब का Boss एक फोरमैन होता था जो २०-२५ साल की नौकरी कर चुका होता था . ये सब बताने का मतलब ये है कि एक Situation का असली मज़ा लिया जा सके . हाँ हमारे पास एक नौजवान लेबर था वोह छुटि से पहले नहाता , एक अछि सी पैंट और कमीज़ पहन कर बिलकुल हीरो बनकर जाता था और वोह रोज़ तिलहर से आता जाता था तिलहर के बहुत लोग फैक्ट्री में थे
एक दिन मालूम हुआ कि उसने अपने मोहल्ले में बताया हुआ है कि वोह फैक्ट्री में फोरेमेन है उसदिन हमें इसके माने समझ में आये " Where Angels fear to tread Fools rush in "
इस तरह बहुत से लोग ये गलती कर देते हैं , इस फैक्ट्री के एक Manager { Class I Officer} ने मुझको बताया था कि में जब अपनी फॅमिली में जाता हूँ तो अपने को General Manager बताता हूँ फिर भी IAS , IPS के बीच कोई ख़ास इज्ज़त नहीं मिलती कुछ हम सब के और हमारे समाज के Mental Blocks हैं जो दूर ही नहीं होते जैसे आज IIT IIM कि Brand Value है जो बहुत जल्द नीचे आने वाली है क्योंकि मंत्री लोग ही कह रहे हैं
इस पर वोह मशहूर बात याद आई जब गाँव कि एक बुढ़िया ने खुश होकर SP Saheb को दुआ दी थी खुदा करे वोह दरोगा हो जाएं
बस साहेब ज्यादा तर दूर के ढोल सुहाने होते हैं या फिर ये कह लें कि अंगूर खट्टे हैं.
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