आज डा. इकबाल की बहुत मशहूर नज़्म का शेर याद आ रहा है
ऐ आबे -रुदे गंगा ! वो दिन हैं याद तुझको ?
उतरा तेरे किनारे जब कारवां हमारा
साहब आज से बहुत साल पहले हमारा भी कारवां एक बस्ती जो नई थी , अनजान थी , मौसम येही था उसमें हमारा कारवां पहुंचा अजब आलम था और आज भी उस दिन को याद करते हैं आज भी जो उसदिन साथ पकड़ा था उसपर कायेम हैं बहुत अच्छे लम्हात भी गुजारे हैं बहुत खराब भी बस सब कुछ खट्टा -मीठा है और ज़िन्दगी अपनी राह पर चलती हुई बहुत दूर निकल आई है
ज़िन्दगी से बहुत शिकवा नहीं क्योंकि जब आस पास देखा तो हमसे भी खराब हालात मैं बहुत लोग थे और जो अच्छे दिख रहे थे जब उनके पास गया तो जाना की " नानक दुखिया सब संसार " मेरा जो भी दुःख है वोह इस वजह से नहीं है की मेरे आस पास कुछ लोग बहुत खुश हैं मेरा गम ये है की आज भी मेरे बहुत करीबी लोग परेशां हैं उनकी तकलीफ देख कर मैं दुखी हूँ.
तुम्हारे महलों की शान -ओ -शौकत भी आरजी हैं ,
हमारे माजी का क्या हुआ , मक़बरों से पूछो मेराज फैजाबादी
खैर हम माजी का रोना पसंद नहीं करते , हम आज क्या हैं वोह हमारे ऊपर ही है जो हमने बोया है वो काट रहे हैं ये दुनिया उसका ही साथ देती है जो कोशिस करता है
ठीक , आज तो घर मैं जश्न है बहन भी आई हुई है , बेटी भी मौजूद है , माँ भी हैं अच्छा लग रहा है मगर जब पलट कर देखता हूँ तो जानता हूँ की ये ख़ुशी भी उतनी आरजी है जितना पिछला गम था
Ganga kinare to shayed Ghauri Utra tha. Aur us ne Hindustan fateh kiya tha
ReplyDeleteAap ne bhi kuch fathe kiya hoga. Gaon Kaun sa tha?
Aur mithas ke baad khatta, khatte ke baad mitha aur phir mithe ke baad kuch...
yeh hi zindagi hai bhai.
Woh Gaaon tha PANTNAGAR , My father -in-law Late Mohd. Taqui was posted there as Dy. Director (Audit ) of Pant nagar University . Today is my marriage anniversary. Hope now you would be able to reconstruct the scene of my blog.
ReplyDeleteI thought as much. Mubarak ho yeh ghari.Happy anniversary.
ReplyDeleteyoon nahin hai ke gham nahin
bas aankh meri nam nahin
Firaq, (aap hi ki post se)
gudaaz dil hoga to yeh to ho ga. Aas pas dekho aur jo kuchh kar sakte ho karo yeh hi Allah ko pasand hai. Phir Allah malik hai.
Bahut Bahut Shukriya Bhai Shakil
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