क्या लिखूं एक तमाशा शुरू हुआ वोह भी अपने रास्ते से भटक गया यहाँ कुछ भी , रास्ते पर नहीं चलता ,न जाने कौन से हाथ हैं जो दिखाई तो नहीं देते मगर हर कहानी को ऐसा मोड़ देते हैं जो आम आदमी की समझ से बालातर होती है .
शायद इसलिए ही हम लोग फिल्म देखते हैं और टी . वी. से
चिपके रहते हैं वहां बुराई का एक अंत होता है मगर असल ज़िन्दगी में क्या हो रहा है वोह समझ में ही नहीं आता अगर आप ने उस विषय पर पढने और खोजने की कोशिस की तब तो आप पागल ही हो जायेंगे
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