सरकता हुआ जून का महीना , कभी बादल कभी धूप , उमस भरी दोपहरी , ढलती हुई उम्र और बिजली की आँख मिचोली . जीवन के कितने रंग हैं और ऐसे मैं हमारे चहीते नवासे का फैसला की वोह हमारे साथ कयाम करे गा अभी ३ दिन पहले ही वोह ५ साल का हुआ है उसकी दादी उसको सीमाब { पारा } सिफत कहती हैं अब ये सोचने का मुकाम है की ६५ और ५ का मेल कैसा हो गा वोह सिर्फ कार्टून फिल्म देखेगा मतलब सब प्रोग्राम बंद. अगर नेट पर बैठे गे तो वोह सिर्फ ट्रेन्स YOU-TUBE पर देखे गा अगर Ice-Cream और आम हो तो ठीक है खाने से कोई रगबत नहीं . हमारे पास रहने की महरबानी की वजह ये है की हम लोग Home-Work और पढ़ाई की बात नहीं करते हैं
वोह तो ये भी सोच रहा है की यहाँ ही स्कूल मैं पढ़ा जाए क्योंकि वोह जहां पढता है वहाँ पढ़ाई की बात होती है और नानू के घर पढ़ाई को कोई नहीं कहता है. साहेब घर मैं ४४० W दौड़ रहा है मेरी वाल्दा भी उसके सामने बेबस हैं बस ये कहती हैं ऐसे बच्चे नहीं पलते अब उनको क्या बताएँ उनका साबका हमारे ऐसे बुधू और डरपोक से पड़ा था और ये नसल तो बहुत ही तेज़ है खौफ का तो नाम ही नहीं है न तो चोट का डर , न पिटाई का खौफ , और जिद तो बस कूट कूट कर भरी हुई है
वैसे मुझे ये शिकवा था वक़्त बहुत तेज़ी से गुज़र रहा है मगर उसके आने से लगा की नहीं वक़्त अपनी ही रफ़्तार से चल रहा है अब हमारे पास कोई मकसद है. जब कोई मकसद हो तो वक़्त अपनी रफ़्तार ठीक कर लेता है.
शहर मे आजकल नुम्माइश लगी है और शहीद पार्क भी है उसको सब मालूम हैं और हुई शाम उनका ख़याल आ गया बस वहीँ चलो अब आप समझ ही सकते हैं इस उम्र में एक ५ साल के बच्चे के साथ सब झूलों पर बैठना कितना मुश्किल काम है.
हम ये लिख रहे हैं और डर भी रहे हैं की कब वोह नारा लगाते हुए आ जाएँ की अब हम ट्रेन देखेंगे.
लोग माँ -बाप को इलज़ाम देते हैं मगर वोह गलत है ये Genetically Pre-programmed Child होते हैं आप सधाने की कोशिश कर सकते हैं मगर कामयाबी दूसरी पार्टी के मूड और तालुकात पर है अच्छा खुदा-हाफ़िज़
Zabar dast naqsha khincha hai. Ham bhi nawasi nawase ke aane se khush hote hain. Yahan school mein parhai aisi hoti hai ke bachche school ka dam bharte hai. Lekin hamare saath khelne mein unko aur ham ko bahot mza aata hai.
ReplyDeletehan ham ko bhi cartoon aur ice age, monster inc, queen car etc zabaani yaad ho gayi hain.
mubarak ho seemab sifat ki 440 wolts. masha Allah. ji khush ho gaya. Yeh hi to zindagi hai 65 ke baad.