आज एक शख्स की मिटटी में शरीक होने कांट गया मरने वाला एक किसान था तालीम से दूर था वोह खानदान. उसके छोटे भाई पहले ही इस दुनिया से जा चुके थे और उसकी हालत भी मरने के एक साल पहले ही वोह हड्डी का ढांचा हो चूका था वोह १० महीने से बिस्तर पर पड़ा था उसके और अज़ीज़ जो आस पास रहते हैं बहुत अच्छी हालत में हैं उससे उम्र में १०-१५ साल बडे हैं और अभी ठीक ठाक हैं
में ने सब से पुछा एक खानदान के कुछ लोग कितना उठ जाते हैं और कुछ कितना गरीबी की रेखा के बहुत नीचे चले जाते हैं सब अपना अलग अलग मत रखते हैं ज्यदा तर लोग किस्मत को ही दोष देते हैं वोह सब से सहल है कुछ कहते हैं की ऊपर वाला इम्तिहान ले रहा है मगर एक पुरानी कहावत है " छलनी में दूध दुहें और किस्मत को दोष दें "
लेकिन मेरा ये तजुर्बा है की जो लोग १. पढ़ाई / लिखाई से दूर रहते हैं
२.अपने से अच्छे लोगों से नहीं मिलते ३ . दूसरों की तरक्की देखकर जलते हैं सबक नहीं लेते और जिनको ४. अच्छे ख्वाब देखने और उधर बढने का जज्बा नहीं होता वोह पतन की ओर चलते हैं ........
अगर आप आगे नहीं बढ़ रहे हैं तो ज़रूर आप पतन की ओर जा रहे हैं ये याद रखें .इस दुनिया में सिर्फ एक ही Constant hai That is Change.
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