Friday 2 December 2011

पछतावे

आप बीती

आज हम ने फेस बुक पर एक बच्चे की रोती हुई पिक्चर देखि वोह किसी के डांटने पर रो रहा था. हमें अपना ज़माना याद आ गया . अब सोचते हैं की हम ने भी बच्चों पर डांट डपट से काम लिया था। एक बार कराची में (१९८७) हम ने समेरा, मेरी बड़ी बेटी, का आडियो कसेट तोड़ दिया था। वह गाने सुन रही थी और हम सो नहीं पा रहे थे, उस का वह चेहरा हमें आज तक याद है, दुःख भरा, अफसुर्दा , और बेबस । हम अक्सर याद करके अपने आप को मलामत करते हैं। वह उस समय १३ वर्ष की थी ।
एक बार हम सउदी अरब गये उमरा करने। मक्काह से मदीना जाते हुए हम अगली सीट पर ड्राईवर के साथ थे और बीवी और दोनों बच्चे पीछे। अरबी ड्राईवर बहोत ही जंगली था और घुस्सीला। हर दो मिनट पर वह बाहर थूकता था और साथ में बहोत ही भयानक अरबी गाने लगा रखे थे। साथ में वह ताली बजा बजा कर खुद भी बेसुरा गाता था । सारे रासते हमारे कान और दिल पक गये । हम को लगा क हम उसका कैसेट निकाल कर बाहर खिड़की के फ़ेंक दें। लेकिन सोचा की यह अरबी हमारे पासपोर्ट बाहर फ़ेंक दे गा। और हम को वह याद आया की हमने समेरा का कैसेट तोड़ दिया था। हम ने अल्लाह से माफ़ी मांगी और समेरा को भी दिल में प्यार किया। समेरा उस वक़्त हमरे साथ नहीं थी, वह लन्दन में पढ़ रही थी
यह १९९८ की बात है ।
हम को लगा की हम बहोत ही डरपोक हैं , कमज़ोर को मारते हैं और ज़बर दस्त से डरते हैं।
आज हम ने फेस बुक पर लिखा की बच्चों हमें माफ़ करदो

2 comments:

  1. It needs courage to accept follies. Shakil Bhai maza aa gaya.

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    1. Thanks sir. we are now at the stage where we can only remember our mistakes and canot do any thing except repent.

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