Saturday 30 April 2011

AAP BEETI


The advice of old men is dearer than the bravery of young men.    Hazrat  Ali  {R.A}

Reading of  Quotations have been my favorite for all the times and specially of saints  which are full of worldly  wisdom as well spirituality.  These are available on my  another  blog.   However today I got a Quotation which suited to our age so I thought to  bring it here.

However no one listens to old  { We too never did it , when we were young}.   However of late I have adopted one thing which our elders never did  that I listen to younger generations. Their values may not be of our liking. Their attitude  may be unbearable  but above every thing they have got so much to teach / advice  us that we should take them seriously.

"न  तो कारवां  की तलाश  है  न  हमसफ़र की  "  आज  बहुत  दिनों बाद  या  ये  कहिये ४० साल  बाद   ये   कव्वाली  याद  आ  गई   भला  हो  नेट  का  फ़ौरन  सुनकर  यादें  ताज़ा  कर  लीं      और  इस  लाइन  पर  आ कर   रुक  गया  "  जाँ सोज़  की  हालत  को  जाँ सोज़  ही  समझे   गा "   देखिये  फिर  गाडी  वहीं  पर  आ  गई    की  हमारी  हालत  को  कोई  हमारा  ऐसा  ही  समझे  गा .
दर्द  बढ़ता  ही  गया  ज्यों ज्यों  दावा  की ....................................

Thursday 28 April 2011

AAP BEETI

न  था  कुछ , तो खुदा था , कुछ न होता तो खुदा होता 
डुबोया  मुझ को  होने  नें, न होता  मैं  तो  क्या  होता .


इस  कैफियत   का  बयान   तो  ग़ालिब  साहेब  ही   कर  सकते  हैं   इस  मैं  तो  किसी  को  कोई  शक  नहीं   मगर  आप  जब  ज़िन्दगी  मैं  उस  मुकाम  पर  होतें  हैं  जब  आपके  होते हुए  भी  कुछ  नहीं  आप  क्या  हैं  कुछ  नहीं  आप  डूबे  भी  नहीं   आप  तैर  रहे  हैं  मगर  आप  की  तरफ  कोई  मुखातिब  नहीं   तो   कभी  कभी  तो  बहुत  अच्छा  लगता  है    मगर आप   अगर  इसके  काइल  हैं  की  

" रगों  मैं  दोड्ने फिरने के  हम  नहीं  काइल ,
जब  आँख  ही से न टपका तो फिर लहू क्या है  "


इस  हालत  मैं  बड़ी  कोफ़्त  होती है  अब न तो  लहू  रगों  मैं  दोड़ता है   और  न  ही  ज़रुरत  पडने  पर  आँख  से  टपकता  है    अगर  बहुत  कोशिश  की  तो  फ़ौरन  डाक्टर  High   BP   बतला  कर  एक  Tablet   देगा   और  अगर  आँख  लाल  है  तो  फिर  आँख  के  डाक्टर आपका  जीना  मुश्किल  कर  देंगे.    तो  जनाब  वो  हर  शेर   ग़ज़ल  जो  पूरी  ज़िन्दगी  आपको  सुरूर  देता  रहा   अब  एक  परेशानी  का  बाईस  बन  जाता  है.


यह चित्र भगवान की महिमा दर्शाता है। हिरदय को प्रसन्नता से भर देता है। सुन्दरता ही ऐसी वस्तु है जो मनुष्य को जीवन के झेलने का साहस देती है। परन्तु सुन्दरता को भोगने के लिए मनुष्य का मस्तिष्क ऐसा हो जो नम्रता से भरा हो।

मेरी सारी ज़िन्दगी सुन्दरता की तलाश में गुज़र गयी। ab to yeh hi hai that I will as Saleem says will say and others will listen. कुछ न समझे खुदा करे कोई.

Wednesday 27 April 2011

AAP BEETI

Dekh to  dil  k  jan  say   uthta hai
Ye dhuan sa    kahan say uthta hai







मीर  तकी  मीर  की  ये  ग़ज़ल  और  उसपर  मेहँदी  हसन  की आवाज़   ने  करोरों    उर्दू-हिंदी जानने  वाले  और  लाखों  ऐसे  शौकीन  जो  हिंदी-उर्दू  नहीं  जानते  मगर  मौसिकी    , सुर  ताल   का  ज्ञान  रखते  हैं    उनका  दर्द  समझा  है  , दिल  बहलाया ,  मनोरंजन  किया  है    ये  सिलसिला  १८१०  से  चल  रहा  था   मगर  मेंहदी हसन  ने  पिछले  ५०   सालों  मैं  इसको  खास-आम  सबके  करीब  पहुंचा  दिया   मैं  भी  एक   अदना  सा  मीर  और मेहँदी हसन  का  मुरीद हूँ     खासकर  जो  करब , दर्द , गर्दन  मोडने  का अंदाज़   जनाब  मेहँदी  हसन  के  चेहरे  
पर  होता  था 

मगर  अब  जब  अपने  पर  पड़ी  अलग  अलग  दर्द  शरू हुए  जिनका  ORIGIN   और   END  ही  नहीं  समझ  मैं आता  है  तब  मैं  ने   शायरी  और  गायकी  के करब  को  समझने  की  कोशिश  की  , तब  मैं  इन  दोनों की  अजमत  का  काइल  हो  गया  की  इतनी  तकलीफ  मैं  लिखना  या  गाना   दोनों  ही  न-मुमकिन .

आप  ये  न  समझें  की मैं  जो  लिख रहा हूँ  ये  मेरी  जिद्दत  है , जनाब  ये  हकीकत  है 

"मुझको  शायर  न कहो  "मीर'  की  साहब  मैं  ने ,
दर्दो-गम  जमा किये कितने  तो  दीवान    किया "


अच्छा   अब  तो  दर्द भी  कम  है  इजाज़त  दें..........

Tuesday 26 April 2011

AAP BEETI

taab kis ko jo haal-e-'Meer' sune
haal hii aur kuchh hai majlis ka


यहाँ पर " تاب  " "taab" के  माने  सब्र या  Patience  हैं  वोह  नहीं  जो  हमलोग   इस्तेमाल  करते  हैं.

सो  अब ये हाल  है कि कौन हमारी सुने गा  शायद मीर  साहेब  भी  कभी  retire हुए  होंगे तब ही ये शेर इरशाद किया  होगा. 

खैर  अपनी  तो वैसे  भी  लोग  तब  ही  सुनते  थे जब  सरकारी  जाहो-जलाल था  { कुछ दोस्त और गमगुसार आज भी हैं जो उनदिनों भी साथी थे उनसे  माफ़ी  के  साथ } लेकिन  वक़्त या  समय  बहुत महान है   अब  उसकी  कीमत  मालूम  होती है.

पता  चला की  पेट मैं  दर्द  है  मगर वोह  बुढापे  की तरह  आकर  जाने  का  नाम  नहीं  लेता 
फिर  भी  जब  तमाम  टेस्ट  हो  चुके   तो  मालूम  हुआ  की  Gall  Bladder   मैं  stone  है   मगर  हैरत  तब  हुई  थी  जब   पेट  के  दर्द  में   पहला  जो  टेस्ट   डॉक्टर  ने  लिया  वोह          
E C  G  था { Ultrasound  तो  तीन  दिन बाद  लिया } में  हैरान  हुआ   की  यह  कौन  सा  तालुक  है    मगर  बाद  में  समझ  में  आया  की  ये  उम्र  का  तालुक  है    उसके  बाद  ये  फैसला  हुआ की  ठीक  है  ऑपरेशन  करवा लूँगा  तब  दोस्तों ने  बताया   ये  इतना  आसान  नहीं  है  ये  तो  डॉक्टर  फैसला  करेगा  की  आप  ऑपरेशन   के  मुसतहिक़  हैं  की   नहीं.

देखा  आप  ने  उम्र हर  मोड़ पर  आपको  अहसास  दिला  रही  है   की  बस अब  बहुत  हो  चूका     मगर  ये  दिल  कम्बखत   मानता  नहीं .

मगर  आदमी  ने     अपनी  मुसीबत  खुद  पैदा  कर  ली  हैं  पहला  तो  Mirror वोह  ये  याद  दिलाता  है  कि  सफेदी  और  झुरियां   बढ़  गईं   फिर  बाज़ार  में तमाम Hair  Dye   जो  महंदी के नाम  से  मौजूद  हैं  और  तमाम  दवाएँ  जो  झुरिओं  का  इलाज  करती  हैं   और  एक  बार   अगर  आप  इनके  जाल  में  आगये  तो  पता   ही  नहीं  चलता  कब  आप  हीरो   से  जीरो  का  सफ़र  पूरा  कर  गए  और  लोग  ये  सोचते  ही  रह  जाते  हैं  कि अरे  बड़ी  जल्दी  चले  गए  अभी  क्या  उम्र  थी  जबकि  वोह ६५  पार  कर  चुके  थे.


अच्छा  फिर  कभी .........................................................................

AAP BEETI


उम्र के ६५ पड़ाव तक आने पर ये अहसास हुआ की मैं तो ३ पुश्तों का अब साछी या गवाह हूँ
आज तक पढता रहा हूँ लोगों की सुनता रहा हूँ लेकिन अब और नहीं अब तो अपनी सुनानी है
यह विचार आते ही पलटा तो अपना साया भी गायब था { ये ग्लौकोमा का चमत्कार है जो
बहुत शान्ति से बगैर आपको कोई चेतावनी दिए आपका विज़न चुरा लेता है ये विषय फिर कभी}
अब इस नितांत अन्धकार में नेट पर ब्लोग्गेर्स को ये सुविधा प्राप्त है जहां आप अपनी कह सकते
है.आज अधिक न कहकर में बस शुरवात करता हूँ कम अज कम मेरी तरह कोई अकेला प्राणी
भटकता हुआ आ गया तो उसको ये संतोष अवश्य हो गा. की वोह यहाँ अकेला नहीं है. मेरे
आस पास बहुत से प्राणी जिनका FINAL RETIREMENT अभी बाक़ी है उन सब की दशा ये ही है. 

ज़रा सा हाले-दिल एक मोनिसे-गमख्वार से कह कर
बना डाला ज़माने भर को अपना राजदां हम ने.
 रशीद असर शाहजहांपुरी

Sunday 24 April 2011

Ist Post




गुल-ए-दाऊदी 

सलीम खान 

यह मेरा नया ब्लॉग है और मेरी पहली पोस्ट है कैसा  लगता है आप को ब्लॉगर पर अपनी भाषा में ब्लॉग्गिंग करना वोह भी गूगल के सहयोग से इंग्लिश( रोमन ) में लिखो और साथ साथ हिंदी होती जाए 
                                                                   बोगनवेलिया              

........वाह... वाह                                             
कहिये मज़ा आ रहा है ना .

ہاں جناب کہیے کیسا لگا یہ نیا بلاگ بھائی ہم کو تو مزا آ  گیا اردو یا ہندی میں پہلے تو کی بورڈ پر لکھنا بہت مشکل پھر اس کو بار بار  کاٹ کاٹ کر چپکاؤ یار وہ جو کہتے ہیں
درد سر کے واسطے چندن لگانا ہے مفید
لیکن اسکا گھسنا اور لگانا درد سر سے کم نہیں 
               
 اس بلاگ پر میاں رومن میں لکھتے جاؤ اور اپنے آپ اردو ، ہندی یا کسی بھی زبان میں لکھتا جاتا ہے.

اگلی پوسٹ تک خدا حافظ